Gita Shar
Srimadbhagwatgita
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"गीता ज्ञान काल ने बोला।
श्री कृृृृृृष्ण जी विष्णु जी के अवतार थे,जिनकी चार भुजाऐं है।जबकि गीता ज्ञान बोलने वाले प्रभु की एक हजार भुजाऐं है।जो स्वयं कहता है-अर्जुन मैं बडा हुआ काल हुँ।
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"गीता ज्ञान काल ने बोला।
श्री कृृृृृृष्ण जी विष्णु जी के अवतार थे,जिनकी चार भुजाऐं है।जबकि गीता ज्ञान बोलने वाले प्रभु की एक हजार भुजाऐं है।जो स्वयं कहता है-अर्जुन मैं बडा हुआ काल हुँ।
"श्री कृृृृष्ण जी काल नही थे।
काल कोई और शक्ति है।वह श्री कृृृृष्ण जी के शरीर मे प्रेतवत प्रवेश करके गीता जी के ज्ञान रूप मे चारों पवित्र वेदों का चार बोल गया।
"पवित्र गीता जी का ज्ञान किसने कहा?
श्री कृृृृृृृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे।यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को गीता जी अध्याय 11, श्लोक 32,मे यह नही कहते की अब प्रवृृृृत हुआ हुँ।
अधिक जानकारी के लिए देखिये सत्संग साधना चैनल पर 7:30pm.
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